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मन को कब्जे करने के लिये क्या किया जाय ?

आत्मीयजनो,

जयगुरुदत्त

इस चंचल मन के कारण ही दुःख है, अशान्ति है, अस्थिरता है और पुनर्जन्मादिक भ्रान्तिरुप अज्ञान है । यह मन समस्त इन्द्रियों के साथ सब के अनुकूल बन कर क्षणिक सुखो के तरफ दौड़ता है और बाद में पश्चाताप करता है। अगर मन पर काबू नहीं रखोगे तो यह रसातल में डाल देगा। यह बन्दर है और सुधर जाने के बाद वानर है अर्थात् बजरंगी है, ब्रह्म है। यह द्रश्य नहीं है, स्थूल नहीं है, फिर भी बहुत मजबूत है इसे अंकुश में लेना कठिन है फिर भी गुरुकृपा और इश्वरकृपा से सरलता से स्थिर हो जाता है। मन को कब्जे करने के लिये क्या किया जाय ? कहीं भी एकान्त में सिद्धासन या पद्मासन से बैठ जाओ इसके बाद कपाल भस्त्रिका करो फिर ध्यान में बैठो और इसके बाद मनन चिन्तवन करो कि यह शरीर क्या है किससे बना है यह संसार क्या है ? कितने वस्तुए इस जगत में स्थिर है ? क्या मेरा है ? अन्त में क्या साथ आयेगा ? इत्यादि पर विचार करो और जब कभी भी समय मिले गुरुचरण का ध्यान करते हुए गुरुमंत्र और इष्टमंत्र का जप करो । इस प्रकार से बारम्बार मन को समस्त विषयो तरफ से खींचकर बुद्धि के सहारे इश्वराभिमुख बनो तो कुछ समय के बाद यह मन कब्जे होता है।

किसी कार्यारम्भे के पहेले खूब विचार करो फिर आरम्भ करो परन्तु सद्गुरु के आदेश में योग्य-अयोग्य का विचार मत करो क्यूंकि सद्गुरु के आदेश में अयोग्य का स्थान ही नही है। धैर्य रखो और साहस के साथ चलते रहो।


~प. पू. महर्षि पुनिताचारीजी महाराज,
गिरनार साधना आश्रम, जूनागढ़





Mind Control Chanchal Man Sadguru